सफेद दाग / फुलबहरी - ( Leukodermal )
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leukodermal |
पर्याय नाम -
विटिल्गो ( Vitiligo ) , सफेद दाग , धवल रोग ।
परिचय -
धब्बों अथवा पट्टियों के रूप में त्वचा में रंजक की अनुपस्थिति जो त्वचा का असामान्य श्वेतपन उत्पन्न करती है । इसे श्वित्र / श्वेत कुष्ठ भी कहते हैं ।
• यह एक जटिल चर्म रोग है जिसमें त्वचा का रंग परिवर्तित होकर सफेद हो जाता है •
यह छूत का रोग नहीं है किन्तु 30 % रोगियों को वंशानुगत ( Hereditary ) होता है ।
रोग के प्रमुख कारण -
• सही कारणों का पता नहीं ।
• कुछ पूर्व जन्म का प्रकोप मानते हैं । ।
• त्वचा में मेलेनिन की मात्रा कम होने पर । →
• आमाशय - अन्त्र से निकले विष से ।
• वैज्ञानिक दृष्टि से इसका कारण फिरंग , ग्रेविस डिजीज , पारा - विष , नाड़ी विकार एवं सेप्टिक , फोकस उत्तरदायी माने जाते हैं ।
रोग के प्रमुख लक्षण -
• शरीर पर सफेद - सफेद दाग जो भिन्न भिन्न गोल अंडाकार आकार के होते हैं । ।
• कभी - कभी प्रभावित भाग का पूरा भाग ही सफेद ।
• प्रभावित स्थान के लोग तक सफेद ।
• धब्बों से कोई नष्ट नहीं ।
• शरीर बदरंग दीखता है ।
• दाग प्रायः मुख , गर्दन , ऊर्ध्व शाखाओं तथा गाल पर होते हैं ।
• सफेद दागों की एलो . पेटेन्ट चिकित्सा →
• कारण की चिकित्सा एवं रंजक औषधियों का व्यवहार । 1
• आन्त्रगत् पैरासाइट्स एवं रक्ताल्पता – यदि हों तो इनकी चिकित्सा । 1
• टेबलेट मेलानोसिल ( Tab . Melanocyl - ग्रीफोन ) अथवा टेबलेट निओ - सोरालिन ( Tab . Neosoralin ) मैक 2 - 4 टिकिया 1 दिन छोड़कर सूर्य की किरणें फैलने से 2 घंटे पूर्व । ।
धब्बों पर लगाने के लिये - सोरलीन - पी . ( ग्रीफोन ) या मेलानोसिल सोल्यूशन या आयंटमेण्ट कोई एक प्रातः सायं लगावें ।
• इसके लिये ल्युडोक्रीम ( स्मिथ ) अथवा ' ल्युडर्मोल का भी उपयोग किया जा सकता है ।
• सामान्य स्वास्थ्य को उन्नत करने के लिये - मल्टी - विटामिन्स अथवा विटामिन बी - कॉम्पलेक्स ( बीकासूल्स ) 1 - 1 कै . दिन में 3 बार खाने के बाद दें ।
• सेप्टिक फोकस की अवस्था में - कोट्री - मोक्साजोल ( सेप्टान ) एवं पेनिसिलीन के इन्जेक्शन । साथ में ओबिओल ( Aubiol ) का इन्जेक्शन माँस में लगावें । ।
• उपरोक्त चिकित्सा से लाभ न मिलने पर प्लास्टिक सर्जरी ।
नोट - ० हाइपर पिगमेन्टेशन में - लीडरकोर्ट आयंटमेण्ट ' अथवा डेक्साटोपिक क्रीम प्रभावित भाग पर दिन में 2 बार 1 माह तक लगावें । ।
याद रहे – आरम्भ की अवस्था में ' सोरलीन प्रातः4 टिकिया देकर रोगी को 2 घण्टे बाद 5 या 10 मिनट के लिये धूप में बैठावें । एक मास तक प्रभाव देखें । यदि सन्तोषजनक लाभ न हो तो सोरलीन मरहम या लोशन का प्रयोग करावें तथा लगाने के बाद कुछ देर तक धूप में बैठायें । कोई लाभ न हो तो चर्म रोग विशेषज्ञ के पास भेज दें ।
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